तुम्हारा नहीं आना,
सालता रहा,
तुम्हारे आने की खबर से,
एक द्वन्द है,
आज आओगी,
तुमने नहीं बताया,
कोई बता रहा था,
आज सीढियां चढ़ते हुए,
मना रहा हूँ मैं,
काश! तुम न आओ,
क्यूंकि,
तुम्हारी कुर्सी के खालीपन में,
तुम्हारे न होने में,
लगता है की कुछ है,
कोई मेरा है,
जो यहाँ नहीं है,
तुम्हारे आने से,
मेरा भ्रम टूट जायेगा...
Amarjeet Singh is back with his new poem 'mat aao tum'.
amarjeet kya pata kyo ye kavita mujhe bahut achhi lagti hai.....
ReplyDeleteMujhe bhi achi lagi..........badhai ho Amarjeet
ReplyDeletekya bat hai bhai another touching creation from amarjeet......good one bhai...
ReplyDeletenice kavita Amarjeet! really touching.
ReplyDeletekavita mein aap amarjeet bhai se bhay bheet lag rahe hai
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