Bikash Sharma
मुझे आशा है आपलोगों ने पूरा समाचार पढ़ा होगा. भाई प्रवीण शर्मा को बधाई इस प्रकार की उम्दा रिपोर्टिंग के लिए जो की न तो किसी पोलिटिकल पार्टी से motivated है और न ही कुछ पकी पकाई
खिचड़ी. लोकतंत्र में बंधन का नाम ही राजनितिक दल है चाहे कोई भी हो. और अगर सरकार में कोई पार्टी बैठ जाती है तो फिर उसकी गुंडागर्दी को रोकने वाला कोई नहीं. स्कूली बच्चो को किसी ख़ास प्रकार की पुस्तकें पढाना जो की खुला समर्थन किसी विचारधारा या पार्टी का करती हो, यही तो परतंत्रता है. MP govt ये भूल गयी है की वो जनता की चुनी सरकार है न की RSS या किसी और हिंदूवादी संगठनो की.
Its shamful........वैसे मै खबर दिए देता हूँ.
दैनिक जागरण, भोपाल १९ अगस्त २०१०
प्रवीण शर्मा, भोपाल -राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े संगठन विद्या भारती की पत्रिका देवपुत्र को 13.5 करोड़ रुपए का भुगतान करने की सरकार ने नए सिरे से तैयारी कर ली है। इसके लिए राज्य सरकार जल्द ही संघ के साथ करारनामा (एमओयू) करने जा रही है। संघ और सरकार के अलावा भारतीय स्टेट बैंक भी इस एमओयू में शामिल होगा। अब केवल मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटियों की बैठक का इंतजार है। जल्द ही बैठक कर इसे मंजूरी दे दी जाएगी। प्रदेश के सभी एक लाख 10 हजार स्कूलों में विद्या भारती की पत्रिका देवपुत्र थोपने की तैयारी लगभग पूर्ण कर ली गई है। सूत्रों के मुताबिक इस पत्रिका की दो-दो प्रतियां सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में भेजने का निर्णय तो मार्च के अंत में ही हो गया था। इतना ही नहीं सभी स्कूलों को पत्रिका का आजीवन सदस्य बनाते हुए आरएसके ने देवपुत्र प्रकाशन के नाम से 13.5 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए। इतना ही नहीं इस राशि के ड्राफ्ट भी बनवा लिये थे, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर लगे पेंच के कारण यह भुगतान अटक गया था। इसका फायदा यह हुआ कि संस्था को भुगतान करने की बजाय यह राशि भारतीय स्टेट बैंक की उदयांचल शाखा में जमा करा दी गई। अब भुगतान की प्रक्रिया में भी बदलाव कर दिया है। पहले जहां सारे स्कूलों को आजीवन सदस्य बनाते हुए एकमुश्त राशि देवपुत्र प्रतिष्ठान को दी जा रही थी। वहीं अब एमओयू की अनिवार्यता प्रक्रिया में शामिल कर दी गई है। यह एमओयू पर आरएसके और बैंक के अलावा देवपुत्र प्रतिष्ठान के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे। इस तरह का एमओयू हर साल किया जाएगा। इसके बाद ही उस साल की राशि बैंक द्वारा जारी की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक एमओयू के लिए आरएसके ने पिछले महीने प्रारूप तैयार कर लिया था। बैंक प्रबंधन से बातचीत के आधार पर इसकी शर्ते भी फायनल कर दी गई हैं। इस प्रारूप को सबसे पहले मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कार्य परिषद की मंजूरी ली जाएगी। इसके बाद मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली साधारण सभा में भी इसे अनुमोदित कराया जाएगा। कार्य परिषद की बैठक के लिए पहले 31 जुलाई की तिथि तय की गई थी। बाद में यह बढ़कर सात अगस्त हुई। मगर इस तिथि में भी बैठक नहीं हो सकी है। नई तिथि जल्द ही तय होने की संभावना है।
Bikash भाई पहली बार ब्लॉग के लिए पोस्ट लेकर आये है और वो भी एक उम्दा पोस्ट के साथ. 'We उनका तहे-दिल से स्वागत करता है. उम्मीद है की उनका साथ 'We को मिलता रहेगा.
बेहद शर्मनाक है ये ...हमारे लिए भी. आखिर किस देश में है हम और वो देश है कहा? बच्चों को शुरू से ही गुलाम बनाने की साजिश कर रही सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो उसका बहिष्कार होना चाहिए और तथाकथित धार्मिक संगठनों को धर्म और जाति के नाम पर समर्थन देने वाले लोगो को समझना होगा की आने वाली पीढ़ी के सबसे बड़े दुश्मन वो ही है.इनसे कही बेहतर अंग्रेजो की गुलामी थी कम से कम कुछ लोगो को ये एहसास तो था की गुलाम बनाया जा रहा है.
ReplyDeleteइस स्थिति के जिम्मेदार लोग हम में से ही है जो मन ही मन घटिया विचारों का समर्थन करते है. गली के नुक्कड़ पर, होस्टल के कमरे में, ऑफिस की कैंटीन में जब भगवाकरण का समर्थन होता है तब वो वहा ही नहीं रुकता, वो ये परिणाम लेके आता है जो सामने है.
इस ब्लॉग के लिए फिर से धन्यवाद!!
क्या इस बात पर भी चर्चा होगी की अब किया क्या जाये? कैसे बंद होगा ये शिक्षा का भगवाकरण?
Dharm ka mamla kuch had tak rajneeti se dur hi rakha jaye to behtar hoga. kyu ki desh ki antarik suraksha ke liye kharta dharm ki rajneeti karna bhi hai.........
ReplyDeleteisko hum kyo nahi antarik suraksha ke khatro me nahi mante ki koi ek dharam ka pracharak kisi dusre dharam ko dekhna bhi nahi chahta........
is cheez par gaur karne ki jarurat hai
-Bikash
Its Sad
ReplyDeleteइससे जाहिर होता है कि हम सामान्य समय में नहीं जी रहे है. वातावरण के रेशे रेशे में साजिश है. समय को समझ कर विरोध को और मुखर करने कि जरुरत है. देखिये इन राजनितिक पार्टियों का दोगलापन कि एकतरफ वारेन एंडरसन (यूनियन कारबाईड के मालिक) को भोपाल गैस त्राशदी को जिम्मेदार बताते हुए, प्रत्यर्पण कि मांग कर रहे है, दूसरी तरफ नए न्यूक्लिअर बिल पर अपनी मोहर लगा कर आने वाली कंपनियों को जिम्मेदारियों से मुक्त करने का जुगाड़ कर रहे है.
ReplyDeleteImposing any thought or ideology on the children is totally wrong, they should be given chance to think and form their own views and opinions about any party, religion or any thing like that.
ReplyDeleteविकास भाई को बधाई , इस बात के लिया की आपने एक गन्दा इतिहास थोपने से पहले इस मुद्दे को उठाया.
ReplyDeleteYaar Vikas its really a very shameful act on the part of any government,but interestingly are they really ashamed.. they are publically raping our constitution...but most interestingly that very same constitution is being used as a sheild..its all abysmal...
ReplyDeleteIt is very nearly impossible to become an educated person in a country so distrustful of the independent mind.
ReplyDeleteBikash bhai u really brought a very important issue to the fore.......mujhe nai lagta ki isse badi sharmnak bat kuchh aur ho sakti hai.....it's good to see the guys responding to the issue so seriously .....but i m afraid how to stop the mp govt from doing this?????
ReplyDeletegood job done bikash bhai....now we need to think n do sth effective to stop it from occuring......so guys wat next????
Alone "We" can, make a difference..........
ReplyDelete"We" will
सिर्फ बात करने से कुछ नहीं होगा दोस्तों ...आपसब में बड़ी ताकत है और आप महसूस करते है इतना कुछ अच्छा लगा जान के...देश को फिर से गुलाम बना देंगे हमारे महान राजनेता और उससे भी महान उनकी पार्टीयो की विचारधारा....आग लगाने की जरुरत है इन सबको ....ये बातों के भूत नहीं है...जल्दी ही हम सबको फिर से इन्कलाब जिंदाबाद कहना होगा इनके खिलाफ ....पूर्ण क्रांति के अलावा कोई और रास्ता नहीं है ...कितने लोग है यहाँ जो इससे सहमत है ???
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