Monday, August 9, 2010

तीन सबसे मह्त्वपूर्ण आन्दोलन

देश के इतिहास मे आजतक तीन सबसे मह्त्वपूर्ण आन्दोलन: गौ रक्षा आन्दोलन, राम मन्दिर आन्दोलन और राम सेतु आन्दोलन और दुर्भाग्य्वश इन तीनो अन्दोलनो पर कोई गम्भीर साहित्य नही लिखा गया है.

ये कोइ चुटकुला नही है. बल्कि ऐसा धम्मपाल शोधपीठ के निदेशक रामेश्वर मिश्र ‘पंकज’ ने शनिवार को भारत भवन मे दो दिवसीय राष्ट्रिय स्तर के सेमिनार की भुमिका रखते हुए कहा. उन्होने पापाचार, दुराचार, अनाचार जैसे उत्क्र्ष्ट शब्दो का भी प्रचुर मात्रा मे उल्लेख किया.

सेमिनार का विषय था ‘ राष्ट् की नवीन चुनौतिया’. जिसमे बोलते हुए पंकज ने कहा कि उनके हिसाब से भारत राष्ट् के सामने तीन अति मह्त्वपूर्ण चुनौतिया है, धर्मांतरण की समस्या, लोगो मे करुणा और दया की कमी और तीसरा कम्युनिस्म (नक्सलवाद). एक अतिरिक्त समस्या का जिक्र भी उन्होने अपने उद्बोधन् मे किया था ‘विदेशी चश्मे से भारत के विकास को देखना’. अपने उद्बोधन के आखीर मे उन्होने उम्मीद जहिर की दूर दूर से आये विद्वान, दो दिनो के इस सेमिनार मे’ इन्ही समस्याओ के इर्द गिर्द ही अपनी बात रखें. 

मेरे बनारस के सांसद मुरली मनोहर जोशी जी भी मौजुद थे. उन्होने भी मुरली पर अपनी तान छेडी. महाभारत काल से आज की तुलना करते हुए उन्होने बताया कि उस समय मे जनपद हुआ करते थे अब छोटे-छोटे राज्य है. नये नये राज्यो कि मांग उसी दिशा मे हो रही है, माने कि अब फिर हम जनपद रुपी छोटे-छोटे राज्यो की तरफ बढ रहे है. स्वर्निम महभारत काल की तरफ लौट रहे है.

फिर उन्होने कहा कि समस्या तब आ जाती है जब राज्य और राष्ट् मे टकराव कि स्थिति आ जाये. उदाहरणस्वरुप, उन्होने कहा कि आज राष्ट् चाहता है कि अयोध्या मे मन्दिर बने पर राज्य इसका विरोध कर रहा है.
जोशी जी ने और भी बहुत कुछ कहा पर हमारी सुनने की क्षमता जवाब दे रही थी. बहुत जोर की भुख लगी थी. खाने की व्यस्था है की नही, हम दो दोस्त अमरजीत और मै सुंघ के पत्ता करना चाहते थे. भारत भवन की मोटी दीवारो की वजह से (मोबईल का नेटवर्क नही काम करता है) पता नही चल पा रहा था. 

यद्यपि ये गलत है. हमे इन महान सेमिनारो की महान भाषा मे बोली गयी महान समस्याओ के सामने अपनी ओछी जरुरतो को नही लाना चाहिये था. पर क्या करे, आजकल हमलोग घर से बाहर है और बाहर मे खाने की दिकक्त् तो हमेशा बनी रहती है. घर मे रह भी नही सकते, नौकरी जो तलाशनी है. पत्रकारिता की दुनिया की टुच्चई से उब कर कभी कभी तो कही दूर भाग जाने का मन करता है. पर सामने खडा विकराल भविष्य और अम्मा-पापा के आंखो की थकान और अनेको ऐसी चीजे है,(पत्रकरिता मे अभी चन्द महीनो के दौरान हमने ऐसे झुठ, फरेब, भुखमरी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी और भी न जाने क्या क्या देखी है) जो हमे रोक देती है. फिर जायेंगे भी तो कहा! विकल्प भी बहुत कम है. 

जो भी हो, अब इन सब से भी महान हस्ती, मेरे बनारस के सांसद जोशी जी के परम श्रधेय संघ के पुर्व संचालक के सुदर्शन बोलने वाले थे. जहिर है कि सुदर्शन जी और भी बेहतर तरीके से देश के तात्कालीन समस्या को बताने वाले थे, पर भुख की जिद थी कि उच्च्कोटि के बहस को छोड हमदोनो बाहर चले आये.

7 comments:

  1. There are many more things are left to see....Just be brave.......We all are your friends to support you......... All the best

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  2. ये कमाल का लिखा है कुंदन !! इसके लिए बधाई !!
    आगे इन जैसे लोगो की बखिया उधेड़ने के लिए भी तुम्हारी जरुरत होगी...ताकि इनकी इतनी हिम्मत न हो की अपने सामने भी ऐसी बाते कर सके. आराम से और तमीज से बात करना इन्हें समझ में नहीं आता...लेकिन तुम्हारी कलम काफी है...लगे रहो !!!

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  3. haan bhaai teen hi aandolan hue hain............. yakin nahi ho raha ho to unke chasme se dekho sab kuch ssaaf naja aayega.jaane kis jangal me rahte hain ye buddhiman log ki unko aas-paas ki problems bhi muskil se dikhi padti hain......rahi baat national problems ki to kaun jaane inki rashtra ki avdhaarana kis refrence book se aati hai...

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  4. kya baat hai kundan bhai! achha kiya in tino andolano key barey mey jikra kr ke humey bhi desh ki aj tak ke sabse bade andolanoke se avgat karaya. agar humarey netagan isi tarah chizon ko dekhte rahein aur isi approach ke saath kam karte rahein toh bahut jald india 'hindustan' ke rup mey duniya ke samne ek developed nation ki tarah ubhar kr ayega.
    humsab aj tak garibi, berojgari, illiteracy, tezi se badhati population jaisi cheezon ko bharat ki sabse badi samasyaein samajhatey thein jo ki iske vikas mey vadha dal rhe thein magar hum iske sabse badi samasya "dharmantaran" se bilkul unaware thein.
    very nice and sarcastic write up buddy. really interesting but yeah serious at the sametime. and u know what the most surprising thing for me is the fact that some of us despite of being educated get influenced by these leaders n talk the same as they do. i reckon wat kind of society they will take us to if they get the power to execute their own decisions in the society.....good job dude n thanx again for letting us know abt it.

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  5. पंकज जी बुजुर्ग हो गए हैं इसलिए याददाश्त कमजोर हो रही है। कुछ आंदोलनों के नाम मैं गिना देता हूं। गुजरात में कुछ वर्षों पहले एक आंदोलन छेड़ा गया था। उसके अलावा एमपी में स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाओ आंदोलन चल ही रहा है। टिप्पणी काफी नही है इन आंदोलनों के इतिहास और उनकी निर्णायक भूमिका पर बड़ा आलेख लिखना होगा। शानदार लिखा है बधाई

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  6. Good job done kundan..we need to discourage these culprits..in every possible way..and congrats once more especially for the laudable way of presentation..these people have really made the mockery of the society..how easily they ignore the suffering of the starving millinons of our country...carry on...

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  7. यदि ये दक्षिण पंथी विचारधारा वाली पार्टी के लोग, अपनी राजनितिक विचारधारा से भटक कर धार्मिक विचारधारा की और मुखातिब नहीं हुए
    होते तो आज वो राष्ट्रीय राजनितिक परिदृश्य पर हाशिये पर भी न होते.
    मैं तो इस बात से हतप्रभ हूँ की ये लोग किस प्रकार public opinion और समाज की विचार प्रक्रिया को समझने मैं चूक गए हैं... और खुद अपने ही ताबूत मैं समारोहपूर्वक कील ठोंक रहे हैं....

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